फोटोग्राफी क्लासरूम - आइये शटर को समझें - Photography Classroom - Let's understand the camera shutter

वर्ष 1876 में पहला चित्र जब खींचा गया था तो उस इमेज को फिल्म पर रेकार्ड करने के लिये 8 घंटे लगे थे।  कोई इंसान तो इस प्रयोग के लिये बलि का बकरा बनने के लिये तैयार हुआ नहीं, अतः धूप में कुछ सामान मेज पर सजा दिया गया था और सुबह से शाम तक के लिये कैमरा स्टैंड पर लगा कर छोड़ दिया गया था।  शाम तक एक कामचलाऊ चित्र मिल गया तो उस एक्सपेरिमेंट करने वाले व्यक्ति की खुशी का कोई ठिकाना न था।  (यदि कोई वॉलंटियर मिल भी जाता तो 8 घंटे तक बिना हिले डुले कैसे बैठ सकता था ?, है न? )

 इस सफलता के बाद, स्वाभाविक रूप से अगला लक्ष्य था फिल्म पर लगाये गये कैमिकल (Light sensitive chemical )को इतना सेंसिटिव बनाना कि वह इमेज रेकार्ड करने में इतना समय न ले।  प्रगति की राह पर बढ़ते बढ़ते आज रसायन विज्ञान उस बिंदु पर पहुंच गया है कि हमारा कैमरा आठ घंटे नहीं बल्कि 1/12000 सेकेंड में भी सुंदर चित्र खींच लेता है। मेरा गणित में हाथ कुछ तंग है - आप गणना करके बतायेंगे कि 8 घंटे और 1/12000 सैकेंड में परस्पर क्या संबंध है ?

 आपने कभी ऐसे फोटोग्राफर से फोटो खिंचवाई है जो एक बड़े से डब्बे के पीछे काला कपड़ा सिर पर डाल कर कुछ काला जादू सा करता रहता है फिर आपसे कहता है कि "हिलना मत" और लेंस के आगे लगे हुए ढक्कन को हटाता है, चिड़िया सी उड़ाता है और ढक्कन को वापिस लेंस पर लगा देता है वह काला डब्बा निश्चय ही एक पुराने जमाने का कैमरा हुआ करता था।  आठ घंटे तो नहीं, हां 2 या 3 सेकेंड का समय इस कैमरे को चाहिये होता था आपकी फोटो खींचने के लिये।  लेंस का ढक्कन हटने से लेकर ढक्कन वापिस लगाने तक का समय अंदाज़े से दिया जाता था। फोटोग्राफर होशियार होता था तो वह स्टॉप वाच की सहायता लेता था। 

 

जब फिल्म और फास्ट बनने लगीं तो कैमरे पर मेकेनिकल शटर (Mechanical shutter) की आवश्यकता महसूस होने लगी क्योंकि 1/15 या 1/60 सेकेंड का समय अंदाज़े से तो दिया नहीं जा सकता है।  जब 1/1000 सेकेंड तक का समय भी पर्याप्त होने लगा तो मेकेनिकल शटर के स्थान पर इलेक्ट्रॉनिक शटर (electronic shutters)  लगाये जाने लगे। 

 आज एक अच्छा कैमरा 30 सेकेंड से लेकर 1/4000 सेकेंड के मध्य कोई सी भी शटर सेटिंग चुनने की स्वतंत्रता देने लगा है।  जब प्रकाश बहुत अधिक हो तो 1/4000 या 1/2000 सेकेंड का समय निश्चित कर लें और यदि आधी रात को चंद्रमा के प्रकाश में फोटो खींचनी हो तो समय अंतराल को 30 सेकेंड तक बढ़ाने की सुविधा उपलब्ध है।  हो सकता है आपके कैमरे में उच्चतम सीमा 1/1000 सेकेंड हो व न्यूनतम सीमा 1 सेकेंड हो। 

 न्यूनतम समय में इमेज रेकार्ड कर पाने का एक अतिरिक्त फयदा यह हो गया है कि अब हमें किसी से यह कहने की आवश्यकता नहीं पड़ती कि - "हिलना मत" ।  कोई कितना ही हिल-डुल ले, 1/4000 सेकेंड में कितना हिल पायेगा ?  1/12000  सेकेंड में तो बंदूक से निकली गोली के भी चित्र खींचना संभव हो गया है।  इतना कम समय सेट करते हुए तो आप सरपट दौड़ती हुई बुलेट ट्रेन का भी चित्र खींचेंगे तो वह शांति से चुपचाप खड़ी हुई अनुभव होगी !  (हां, इतना अवश्य है कि आपकी फिल्म इतनी फास्ट होनी चाहिये कि इतने सूक्ष्म समय में भी इमेज रेकार्ड कर सके)

 आपकी फिल्म कितनी फास्ट है?

 जैसा कि ऊपर जिक्र किया था, इमेज रेकार्ड करने के लिये फिल्म को कितना समय चाहियेगा यह इस बात पर निर्भर करता है कि उस पर लगाया गया कैमिकल कितना सेंसिटिव है। ज्यादा सेंसिटिव फिल्म है तो कम समय में भी चित्र ले लेगी।  स्लो फिल्म को अधिक समय चाहिये।  अधिक समय देने का उपाय यह है कि कैमरे का शटर स्लो कर दिया जाये।  1/1000 सेकेंड की तुलना में 1/60 सेकेण्ड बहुत स्लो माना जायेगा!  है न

 बाज़ार में कोडक (Kodak), फ्यूजी (Fuji), कोनिका (Konika) आदि - आदि ब्रांड की अनेकानेक फिल्म उपलब्ध हैं।  ब्रांड कोई भी हो, पर फिल्म की सेंस्टिविटी की दृष्टि से सब बिल्कुल एक जैसी रखी गयी हैं।  (All brands of films have same sensitivity ratings)   फिल्म की सेंस्टिविटी नापने की यूनिट तय की गई है - ए एस ए (ASA - stands for American Standards Association) ।  (अब कुछ वर्षों से इसे बदल कर आई एस ओ (ISO - stands for International Standards Organisation) कर दिया गया है, पर बात एक ही है)।    कोई जमाना था जब 15 ASA की फिल्म भी फास्ट मानी जाती थी ।  अब 6400 ASA की फिल्म भी बन रही हैं।  वैसे हमारे देश में छोटे-बड़े सभी शहरों में 100 ASA  से लेकर 400 ASA तक की फिल्में उपलब्ध हैं। 400 ASA की फिल्म 100 ASA की तुलना में चार गुनी फस्ट है।  (400 ASA film is four-times faster than 100 ASA film)  अर्थात्‌ 100 ASA फिल्म को यदि 1/125 सेकेंड का समय चित्र खींचने के लिये चाहिये तो 400 ASA  फिल्म को 1/500 सेकेंड का समय देना पर्याप्त है।

 अब सवाल ये कि आपको 100 ASA  / 200 ASA / 400 ASA के उपलब्ध विकल्पों में से कौन सी फिल्म खरीदनी चाहियेयदि आपको अपने घर के सदस्यों की, प्राकृतिक दृश्यों की फोटो चाहियें तो 100 ASA ए एस ए को प्राथमिकता दें क्योंकि फिल्म जितनी स्लो हो, वह उतने ही बड़े एन्लार्जमेंट बनाने में सक्षम है।  (Slower films enable you to make bigger enlargements of your photographs without apparent loss of quality)   यदि फास्ट एक्शन fast action रेकॉर्ड करना है (जैसे खेल कूद आदि)  तो 400 ASA उपयुक्त रहेगी।  फास्ट फिल्म से एन्लार्जमेंट बनवाये जायें तो उनमे ग्रेन दिखाई देते हैं।  (Faster films tend to give grainier results) आपने अक्सर देखा होगा कि टी वी पर सिग्नल कमज़ोर हों तो स्नो दिखाई देती है।  लगभग वैसी ही फोटो फास्ट फिल्म की भी होती हैं। इसीलिये 400 ASA  से ऊपर की फिल्में लोकप्रिय नहीं हैं ।   जितना बड़ा एन्लार्जमेंट बनवाओ, उतना ही ग्रेन भी बड़े होते चले जाते हैं ।  5" x 7"  तक तो ग्रेन का आभास नहीं होता, पर इससे बड़ा साइज का प्रिंट बनवाया जाये तो ग्रेन दिखाई देने लगते हैं।  (वैसे फिल्म तकनीक में भी बहुत सुधार हुए हैं।  आज से दस साल पहले की 400 ASA  फिल्म की तुलना में आज की  400 ASA  फिल्म कहीं बेहतर है। 

 कितनी शटर स्पीड रखनी चाहिये ?

 यदि आपके कैमरे में ऑटो मोड (auto mode)  है तो कितना एपर्चर aperture  व कितनी शटर स्पीड (shutter speed)  रखी जाये यह कैमरा खुद ही तय कर देता है।   पर यदि ऑटो मोड पर कैमरा 1/60  सेकेंड से अधिक समय देने जा रहा है (प्रकाश कम होने के कारण) तो आजकल के कैमरे आपको 'कैमरा-शेक' वार्निंग (camera shake warning)  देते हैं।  क्या आपको पता है कि यह वार्निंग किस लिये मिलती हैवास्तव में, जिस समय कैमरे का शटर खुला हुआ है और फिल्म पर चित्र रेकार्ड हो रहा है, उस समय कैमरा या सब्जेक्ट - दोनो में से कोई भी एक हिल जाये तो फिल्म पर उस समय रेकॉर्ड हो रही इमेज भी हिली हुई नज़र आती है व सही कहें तो खराब ही हो जाती है।  While the shutter is open and the image is being formed on the film/CCD,  movement of either the camera or the subject causes a blurred image which is often considered as ruined.)  यदि कैमरा स्टैंड पर फिक्स किया हुआ है और चित्र भी आप ताजमहल का ले रहे हैं तो आप चाहे तो 30 सेकेंड तक शटर खोल कर रखे रहें - कैमरा या ताजमहल - दोनो में से कुछ भी नहीं हिलने वाला है।  पर सड़क चलते व्यक्तियों की फोटो खींच रहे हैं तो 1/250 सेकेंड से अधिक समय देने पर फोटो हिल सकती है।  यदि आपका सब्जेक्ट खुद ही फोटो खिंचवाने को उत्सुक है तो वह स्थिर रहने का प्रयास करेगा - ऐसे में 1/30 सेकेण्ड का समय भी चल जायेगा।  भागती हुई ट्रेन की फोटो चाहिये तो 1/1000 सेकेंड शटर स्पीड उचित ही है।  फुटबॉल मैच की फोटोग्राफी करनी हो तो भी 1/1000 सेकेण्ड का समय फास्ट एक्शन को रोक पायेगा। 

 मूल बात ये है कि यदि फोटो खींचने के दौरान आपका हाथ हिले या वह व्यक्ति हिल जाये जिसकी फोटो खींच रहे हैं तो फोटो खराब हो जाती है।  इसलिये फास्टेस्ट पॉसिबिल शटर स्पीड सेट करने का प्रयास करना चाहिये।  (As a rule, choose fastest shutter speed possible in the circumstances subject to availability of the light to avoid camera shake.)   

 यदि कोई स्पष्टीकरण चाहिये तो अवश्य लिखें!  हां, चलते चलते एक बात और ! यदि आप डिजिटल कैमरे के मालिक हैं तो आपको हार्दिक बधाई क्योंकि आप्को फिल्म खरीदने से तो मुक्ति मिल ही चुकी है साथ ही, आप अपने कैमरे में ही ASA / ISO सैटिंग भी तय कर सकते हैं ।  हुर्रे !  अलग अलग कंपनियों के अलग - अलग मॉडल के कैमरों में अलग-अलग ASA/ISO दी गई है। अधिक प्रकाश उपलब्ध हो तो न्यूनतम ASA सैट करके फोटो लीजिये।  प्रकाश कम हो और कैमरा शेक का खतरा बढ़ रहा हो तो ASA बढ़ा दीजिये।  आपको लगेगा कि आपने 100 ASA  की फिल्म निकाल कर 400 या 800 ASA की फिल्म कैमरे में लोड कर ली है।  (You will feel as if you have replaced your slower 100 ASA film with a much faster 400 or 800 ASA film.  Results will have pronouced grain but atleast you will avoid the blur. ) ग्रेन तो बढ़ जायेंगे पर चित्र हिलेगा नहीं!   वाह, क्या बात है।  डिजिटल कैमरा - तेरी जय हो!

 अब विदा दें, नमस्कार ! 

सुशान्त सिंहल

टिप्पणियाँ

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  2. सरल और सहज भाषा में इतना तकनिकी ज्ञान-बहुत आभार. सहेजते जा रहे हैं आपकी पोस्टों को.

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  3. आनेवाले विभिन्न कैमरा पोस्टों और जानकारियों की प्रतीक्षा रहेगी. आभार.

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  4. जय गुरूजी की। इतनी बढ़िया क्लास तो ट्यूशन पर भी नहीं मिलती।

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  5. bahut hi upyogi jaankari hai..sambhal kar rakhne layak.
    aap ke is prayas hetu aap ko dhnywaad.

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  6. Sir,aap ne old posts ke liye archive nahin rakha ?na hi latest posts ka koi column side bar mein dikhayee de raha hai.
    aap ki purani post padhni hon to kya karen?

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  7. मेरा यह प्रयास आप तक पहुंच रहा है व पसंद किया जा रहा है - यह अनुभूति मुझे आगे ही आगे लिखते चलने के लिये प्रेरित कर रही है। आपके इस स्नेह के लिये हार्दिक आभार !

    यद्यपि मैं इस विषय पर अंग्रेज़ी में अधिक प्रवाह से लिख पाता हूं पर अंग्रेज़ी वालों के लिये तो बाज़ार में हज़ारों पुस्तकें मिल जायेंगी। मेरी अपनी भाषा और मेरे अपने भाषा-भाषाभाषियों के लिये मैं नहीं तो और कौन प्रयास करेगा - यही सोच कर इस कार्य को करता चला जा रहा हूं और तब तक करता रहूंगा जब तक आप चाहेंगे!

    सस्नेह,

    सुशान्त सिंहल

    पुनश्च : अल्पना जी, archive ब्लॉग पर सबसे अंत में थी, आपने इस ओर ध्यान दिलाया तो उसे ऊपर और बगल में ले आया हूं! अब तो ठीक है न?

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  8. Aap ki is photography class mai aake bahut achha lag raha hai...

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  9. बहुत उपयोगी जानकारी ..मुझे एक कैमरा खरीदना है ..पर मुझे इस बारे में कोई जानकारी नहीं है की किस प्रकार के कैमरे अच्छे होतें हैं डिजीटल लूँ या पारम्परिक समझ नहीं आ रहा.डिजीटल लूँ तो कैसा और पारम्परिक लूँ तो कैसा ? कृपया बताएं .

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  10. कैमरा खरीदने के बारे में सलाह चाहें तो पुरानी पोस्ट देखें। पारंपरिक कैमरे के पक्ष में मैं अब नहीं हूं।

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  11. बहुत बढ़िया जी । हम तो फोटोग्राफर बन गये ।

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  12. jaa haan ..ab theek hai --aap ne meri baat par dhyan diya dhnywaad

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